मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने न्यायपालिका की ईमानदारी और स्वतंत्रता पर उठते सवालों को काफी गंभीरता से लिया है, और रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद न लेने का भी फैसला किया है. CJI ने कॉलेजियम सिस्टम की खामियां भी स्वीकार की है, लेकिन सवाल उठता है कि सुधार कब होंगे?
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने फैसला लिया है कि वो रिटायर होने के बाद सरकार से कोई पद नहीं लेंगे. यूनाइटेड किंगडम के एक कार्यक्रम में जस्टिस बीआर गवई ने बताया कि उनकी तरह उनके कुछ साथियों ने भी तय किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद वे लोग कोई सरकारी पद नहीं लेंगे.
CJI बीआर गवई का मानना है कि रिटायर होने के बाद जज अगर सरकारी पद स्वीकार करते हैं या चुनाव लड़ते हैं तो लोगों के बीच गलत संदेश जाता है, और न्यायपालिका पर बना भरोसा उठ सकता है.
चीफ जस्टिस का ये बयान पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई और कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय की तरफ इशारा करता है. कभी न्यायपालिका का हिस्सा रहे ये दोनों लोग फिलहाल सांसद हैं. रंजन गोगोई को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है, जबकि अभिजीत गंगोपाध्याय लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गये थे, और पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक से चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे हैं.